चैत्र नवरात्रि 2025: दिव्य आराधना का पावन पर्व | दुर्गा माता पाठ विधि एवं शुभ मुहूर्त.. Chaitra Navratri 2025: A Sacred Festival of Divine Worship | Durga Mata Path Vidhi & Auspicious Muhurat
“या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक पावन और शुभ पर्व है, जो नवसंवत्सर के प्रारंभ के साथ ही देवी शक्ति की उपासना का दिव्य अवसर प्रदान करता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि, साधना और सकारात्मक ऊर्जा का एक अद्भुत संगम है। इन दिनों में भक्तगण माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं, उपवास रखते हैं, हवन-पूजन करते हैं और दुर्गा सप्तशती, श्री दुर्गा चालीसा एवं अन्य वैदिक मंत्रों का पाठ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों सच्चे मन से की गई साधना से भक्तों को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है।

चैत्र नवरात्रि 2025 कब से शुरू होगी? (शुभ तिथि एवं मुहूर्त)
वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च (रविवार) से होगा और यह 8 अप्रैल (मंगलवार) को राम नवमी के साथ संपन्न होगी।
घटस्थापना (कलश स्थापना) मुहूर्त:
📅 तारीख: 30 मार्च 2025 (रविवार)
🕛 समय: प्रातः 06:10 से 08:31 (अभिजीत मुहूर्त)
🕉️ विकल्पीय मुहूर्त: यदि यह समय उपलब्ध न हो, तो प्रातः 10:15 से 12:45 के बीच घटस्थापना की जा सकती है।
🔹 नवरात्रि समाप्ति (राम नवमी तिथि):
📅 तारीख: 8 अप्रैल 2025 (मंगलवार)
🌞 राम नवमी पूजा मुहूर्त: प्रातः 11:20 से दोपहर 01:50
विशेष: पंचांग के अनुसार, स्थान विशेष पर मुहूर्त में अंतर हो सकता है, अतः अपने क्षेत्र के अनुसार शुभ समय ज्ञात कर लें।
नवरात्रि में दुर्गा माता के पाठ का महत्व
🔸 शक्ति और सकारात्मकता: माँ दुर्गा की उपासना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आत्मबल की वृद्धि होती है।
🔸 मनोकामना पूर्ति: सच्चे हृदय से किए गए दुर्गा पाठ से भक्त की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
🔸 नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति: नवरात्रि में पाठ करने से नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त होती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
🔸 कर्मों का शुद्धिकरण: देवी के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के दोष भी समाप्त हो सकते हैं।
दुर्गा माता पाठ की विधि
अगर आप अपने घर में विधि-विधान से माँ दुर्गा का पाठ करना चाहते हैं, तो नीचे दी गई चरणबद्ध विधि को अपनाएं:
1. पूजा की तैयारी
🔹 स्थान का चयन: पूजा के लिए घर के किसी शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें।
🔹 आवश्यक सामग्री: कलश, गंगाजल, अक्षत (चावल), लाल कपड़ा, पुष्प, नारियल, दीपक, धूप, कपूर, दुर्गा सप्तशती, फल, मिठाई आदि।
🔹 कलश स्थापना: माँ दुर्गा का पूजन करने से पहले एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें।
🔹 प्रतिमा या चित्र: माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें और उन्हें लाल चुनरी अर्पित करें।
2. संकल्प और मंत्र जाप
पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लें और “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करें।
3. दुर्गा सप्तशती पाठ
🌺 अर्गला स्तोत्र – माता की कृपा प्राप्त करने के लिए।
🌺 कीलक स्तोत्र – पाठ को सिद्ध करने के लिए।
🌺 कवच पाठ – नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए।
🌺 चंडी पाठ या संपूर्ण दुर्गा सप्तशती – माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान।
4. हवन और आरती
📿 हवन सामग्री – आम की लकड़ी, घी, कपूर, गुग्गुल, इलायची, लौंग, सुपारी, कुमकुम आदि।
📿 हवन मंत्र: “ॐ दुं दुर्गायै नमः स्वाहा” का उच्चारण करते हुए आहुति दें।
📿 आरती: पूजा के अंत में दुर्गा माता की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
विशेष उपाय (नवरात्रि में करें यह शुभ कार्य)
✅ प्रतिदिन घी का दीपक जलाकर माँ दुर्गा के समक्ष “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करें।
✅ नवरात्रि के नौ दिनों तक कन्या पूजन करें और अंतिम दिन उन्हें भोजन कराकर विदा करें।
✅ घर के वातावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए कपूर और हवन सामग्री से हवन करें।
✅ गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएँ और दान करें।
निष्कर्ष
चैत्र नवरात्रि सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का दिव्य अवसर है। जो भक्त इन नौ दिनों में पूरी श्रद्धा से माँ की आराधना करते हैं, वे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव करते हैं। अगर आप इस नवरात्रि में दुर्गा माता का पाठ करने जा रहे हैं, तो विधि-विधान का सही पालन करें और माँ की कृपा प्राप्त करें।
“माँ दुर्गा आप सभी भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखें और आपके जीवन को शक्ति और समृद्धि से भर दें।”
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