दुर्गा सप्तशती पाठ करने की संपूर्ण विधि | Durga Saptashati Path Vidhi

दुर्गा सप्तशती पाठ बहुत ही प्रभावशाली और सिद्ध ग्रंथ है, जिसे नवरात्रि, विशेष तिथियों, या किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। यह पाठ माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक अचूक साधन माना जाता है। इसमें माँ के विभिन्न रूपों की महिमा, उनके असुरों पर विजय और भक्तों को प्रदान किए गए आशीर्वादों का विस्तार से वर्णन किया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो भी व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक इस पाठ को करता है, उसे अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। यह पाठ जीवन में आने वाली परेशानियों, आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याओं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक होता है। विशेषकर नवरात्रि में इस पाठ का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि यह शक्ति उपासना का सर्वोत्तम समय होता है। इसे विधिपूर्वक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। नीचे दुर्गा सप्तशती पाठ करने का संपूर्ण क्रम विस्तार से बताया गया है।

दुर्गा सप्तशती पाठ करने की संपूर्ण विधि | Durga Saptashati Path Vidhi

दुर्गा सप्तशती पाठ की संपूर्ण विधि (Durga Saptashati Path Vidhi)

 1. संकल्प (Sankalp)

पाठ शुरू करने से पहले संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह पाठ कर रहे हैं, जैसे – स्वास्थ्य, समृद्धि, बाधा निवारण, शत्रु नाश, मनोकामना सिद्धि आदि।

👉 हाथ में जल, पुष्प और अक्षत (चावल) लेकर संकल्प मंत्र बोलें –

“ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तशती महाकाव्यस्य श्रीमार्कण्डेय ऋषिः, श्रीदुर्गादेवता, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती शक्तयः, धर्मार्थकाममोक्ष चतुर्विध फल प्राप्तये सप्तशतीपाठे विनियोगः।”

 
 2. देवी का आह्वान एवं पूजन (Devi Avahan & Puja)
  1. दीप जलाकर, धूप और फूल चढ़ाकर माँ दुर्गा का आह्वान करें।

  2. “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का 108 बार जप करें।

  3. पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें।


 3. कवच, अर्गला और कीलक पाठ (Kavach, Argala, Keelak Path)

👉 दुर्गा सप्तशती पाठ शुरू करने से पहले निम्न स्तोत्रों का पाठ किया जाता है:

  1. श्री दुर्गा कवच (Kavach Path) – शरीर और आत्मा की रक्षा के लिए।

  2. अर्गला स्तोत्र (Argala Stotra) – देवी की कृपा और मनोकामना पूर्ति के लिए।

  3. कीलक स्तोत्र (Keelak Stotra) – पाठ के दौरान आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए।

इन तीनों का पाठ करने से सप्तशती पाठ का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।

 
 4. श्रीदुर्गा सप्तशती पाठ (Durga Saptashati Path)

👉 दुर्गा सप्तशती में तीन चरित्र होते हैं:

  1. प्रथम चरित्र (माध्यमिक रहस्य) – महाकाली का गुणगान (अध्याय 1)

  2. मध्यम चरित्र (वैष्णवी रहस्य) – महालक्ष्मी की महिमा (अध्याय 2-4)

  3. उत्तर चरित्र (सारस्वत रहस्य) – महासरस्वती की कृपा (अध्याय 5-13)

➡️ नवरात्रि में सप्तशती का पाठ करने के लिए पूरे 700 श्लोक पढ़े जाते हैं, लेकिन आवश्यकतानुसार इसे संक्षिप्त रूप में भी पढ़ सकते हैं:

  • संपूर्ण पाठ – सभी 13 अध्यायों का पाठ करें।

  • त्रिपथ पाठ – तीन दिनों में तीन भागों में पाठ करें।

  • सप्त दिवसीय पाठ – सात दिनों में 13 अध्यायों का पाठ करें।

  • एक अध्याय पाठ – इच्छानुसार एक अध्याय का पाठ करें।

 
 5. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotra)

👉 सप्तशती पाठ के बाद सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना अनिवार्य है।
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जप करने के बाद कुंजिका स्तोत्र पढ़ें।

➡️ यह सप्तशती का बीज मंत्र है, जिससे पाठ का पूरा फल मिलता है।

 
6. देवी की आरती और हवन (Aarti & Havan)
  1. सप्तशती पाठ के बाद जय अम्बे गौरी आरती करें।

  2. यदि संभव हो तो हवन करें और “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा” मंत्र से आहुति दें।

 

विशेष नियम (Important Rules for Durga Saptashati Path)

✔ पाठ के समय शुद्धता और सात्विकता बनाए रखें।
✔ पाठ को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करें।
✔ पाठ के दौरान किसी भी तरह का व्यवधान न हो, एकांत स्थान पर करें।
✔ सप्तशती पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों को दान दें।

 

दुर्गा सप्तशती पाठ के चमत्कारी फायदे (Benefits of Durga Saptashati Path)

संकटों से मुक्ति: पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
शत्रु नाश: शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए यह पाठ बहुत प्रभावी है।
स्वास्थ्य लाभ: असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है और आयु बढ़ती है।
आर्थिक समृद्धि: धन-वैभव की प्राप्ति और व्यापार में उन्नति होती है।
ग्रह दोष निवारण: सभी अशुभ ग्रहों के प्रभाव को शांत करता है।
परिवार में सुख-शांति: गृह क्लेश, कलह और मानसिक तनाव समाप्त होते हैं।

 

निष्कर्ष (Conclusion)

श्री दुर्गा सप्तशती पाठ अत्यंत चमत्कारी और प्रभावशाली है। यदि इसे विधिपूर्वक किया जाए तो जीवन में हर प्रकार की सफलता प्राप्त होती है। माँ दुर्गा की कृपा से सभी संकट दूर हो जाते हैं और भक्त को अपार आनंद की अनुभूति होती है।

🚩 “जय माता दी!” 🙏

 
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दुर्गा सप्तशती पाठ से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

1. दुर्गा सप्तशती पाठ करने का सही समय क्या है?

🔹 दुर्गा सप्तशती पाठ सुबह या संध्या के समय किया जा सकता है।
🔹 विशेष रूप से नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या, मंगलवार, शुक्रवार और अष्टमी के दिन करना शुभ होता है।
🔹 ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में पाठ करना अधिक प्रभावशाली होता है।

2. क्या दुर्गा सप्तशती पाठ कोई भी कर सकता है?

✅ हां, कोई भी व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) श्रद्धा और विधि अनुसार इस पाठ को कर सकता है।
❌ लेकिन अशुद्ध अवस्था (मासिक धर्म, शोक, अपवित्रता आदि) में पाठ करने से बचना चाहिए।

3. दुर्गा सप्तशती पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

📖 यह आपकी मनोकामना पर निर्भर करता है:
1 दिन में पूरा पाठ – सभी 13 अध्यायों का पाठ करें।
3 दिन में पाठ (त्रिपथ पाठ) – 1-5, 6-10, 11-13 अध्याय पढ़ें।
7 दिन में पाठ (सप्ताहिक पाठ) – प्रतिदिन कुछ अध्यायों का पाठ करें।
9 दिन में पाठ (नवरात्रि पाठ) – प्रतिदिन 1-2 अध्याय पढ़ें।

4. दुर्गा सप्तशती पाठ में कौन-कौन से स्तोत्र अनिवार्य होते हैं?

📌 पाठ से पहले –
✔ दुर्गा कवच
✔ अर्गला स्तोत्र
✔ कीलक स्तोत्र

📌 पाठ के बाद –
✔ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
✔ देवी सूक्तम
✔ दुर्गा चालीसा (ऐच्छिक)
✔ दुर्गा माता की आरती

5. क्या दुर्गा सप्तशती पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?

✅ हां, यह एक सिद्ध ग्रंथ है। श्रद्धा और नियम से करने पर मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।
✅ यह पाठ विशेष रूप से शत्रु नाश, धन लाभ, स्वास्थ्य लाभ, और गृह क्लेश समाप्त करने के लिए किया जाता है।

6. क्या दुर्गा सप्तशती पाठ किसी विशेष स्थिति में नहीं करना चाहिए?

निम्नलिखित परिस्थितियों में पाठ से बचें:
❌ अशुद्ध अवस्था (मासिक धर्म, शोक, अपवित्रता आदि)
❌ बिना गुरु या उचित विधि के तांत्रिक पाठ
❌ मांसाहार, नशा या अन्य तमसिक आचरण के साथ

7. क्या दुर्गा सप्तशती पाठ घर पर किया जा सकता है?

✅ हां, इसे घर पर किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि पाठ के दौरान कोई बाधा न हो और स्थान शुद्ध हो।
✅ यदि घर पर कर रहे हैं, तो रोज एक निश्चित स्थान और समय तय करें।

8. दुर्गा सप्तशती पाठ के दौरान किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?

✔ पाठ के समय साफ वस्त्र पहनें और शुद्ध मन से करें।
✔ पाठ को उच्चारण शुद्धता के साथ करें।
✔ बीच में पाठ रोकना नहीं चाहिए, पूरा करना अनिवार्य है।
✔ पाठ के बाद देवी की आरती करें और भोग अर्पण करें।

9. क्या दुर्गा सप्तशती पाठ के बाद हवन करना जरूरी है?

🔹 यदि संभव हो तो हवन करें, जिससे पाठ का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
🔹 हवन में “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा” मंत्र से आहुति दें।
🔹 लेकिन अगर हवन संभव न हो, तो आरती और भोग अर्पित करना पर्याप्त होता है।

10. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र क्यों आवश्यक है?

📜 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र सप्तशती का बीज मंत्र है।
🔹 इसके बिना सप्तशती पाठ अधूरा माना जाता है।
🔹 यह तुरंत फलदायी होता है और पाठ के संपूर्ण प्रभाव को जागृत करता है।

11. दुर्गा सप्तशती पाठ से कौन-कौन से लाभ होते हैं?

💰 धन-वैभव: आर्थिक तंगी दूर होती है।
🏡 गृह शांति: परिवार में सुख-शांति आती है।
👩‍⚕️ स्वास्थ्य लाभ: रोग और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
🚀 रुकावटें दूर: कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
⚔️ शत्रु नाश: शत्रुओं का प्रभाव समाप्त होता है।

12. क्या दुर्गा सप्तशती पाठ को मोबाइल से पढ़ सकते हैं?

✅ हां, यदि आप शुद्धता और भक्ति बनाए रखते हैं, तो मोबाइल या लैपटॉप से भी पढ़ सकते हैं।
✅ लेकिन शास्त्रों में पुस्तक से पाठ करना अधिक श्रेष्ठ बताया गया है।

13. क्या दुर्गा सप्तशती पाठ में किसी विशेष आसन का उपयोग करना चाहिए?

कुशा का आसन सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
✔ दूसरा विकल्प – ऊनी या रेशमी आसन
✔ भूमि पर बिना आसन के पाठ करना उचित नहीं है।

14. क्या स्त्रियां मासिक धर्म के दौरान दुर्गा सप्तशती पाठ कर सकती हैं?

❌ परंपरागत रूप से इसे वर्जित माना गया है।
✔ इस दौरान किसी अन्य व्यक्ति से पाठ करवाना उचित होगा।

15. क्या नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष लाभ होता है?

✅ हां, नवरात्रि में किया गया सप्तशती पाठ अत्यधिक प्रभावी और सिद्धि देने वाला होता है।
✅ यह सभी देवी अनुष्ठानों में सर्वोत्तम माना जाता है।

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